The Missile Technology Control Regime(मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था M.T.C.R),Nuclear Suppliers Group(N.S.G.) ,Australia Group , Non-Proliferation Treaty (N.P.T)
मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था(M.T.C.R)
G7 समूह के विकसित देशों ने मिलकर आणविक जैविक एवं रासायनिक हथियारों से युक्त बैलेस्टिक प्रक्षेपास्त्रो के प्रसार को रोकने के लिए अप्रैल 1987 में किया गया समझौता मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था कहलाता है।
- यह 35 देशों के बीच एक अनौपचारिक और स्वैच्छिक भागीदारी मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था है।
- यह एक बहुपक्षीय निर्यात नियंत्रण व्यवस्था है।
- यह 500 किलोग्राम के पेलोड के साथ-साथ कम से कम 300 किलोमीटर की दूरी तक ले जाने में सक्षम मिसाइल और मानवरहित वायुयान प्रौद्योगिकी के प्रसार पर रोक लगाती है।
- <script data-ad-client="ca-pub-8167342030766885" async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js"></script>
आपूर्तिकर्ता समूह (N.S.G)
परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह की स्थापना भारतीय परमाणु परीक्षण की परिस्थितियों में 1976 में की गई थी।
यह 48 देशों का एक बहुराष्ट्रीय निकाय है।
जिसका लक्ष्य परमाणु सामग्री ,तकनीक एवं उपकरणों का निर्यात नियंत्रित करना है।
परमाणु हथियार बनाने में इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री की आपूर्ति से लेकर उसका नियंत्रण इसी के दायरे में आता है।
यह आम सहमति के सिद्धांत पर काम करती है बहुमत के आधार पर नहीं ।
भारत अपनी सदस्यता सुनिश्चित करने के लिए सभी देशों को सहमत करने का प्रयास पिछले कुछ वर्षों से कर रहा है जिसका सबसे प्रबल विरोध चीन द्वारा किया जा रहा है चीन का कहना है चूँकि भारत एनपीटी( परमाणु अप्रसार संधि )का हस्ताक्षरकर्ता नहीं है इसलिए उसे N.S.G की सदस्यता नहीं मिलनी चाहिए।
ऑस्ट्रेलिया समूह
यह 42 देशों यूरोपीय संघ शामिल का एक अनौपचारिक समूह है।इसकी स्थापना 1984 में इराक द्वारा इस्तेमाल किए गए रासायनिक हथियारों के बाद 1985 में की गई थी।
इसका उद्देश्य उन निर्यातो की पहचान करने में मदद करना है इन्हें नियंत्रित किए जाने की आवश्यकता है ताकि रासायनिक एवं जैविक हथियारों के प्रसार को रोका जा सके।
इसका यह नाम इसलिए पड़ा क्योंकि आस्ट्रेलिया ने सबसे पहले समूह बनाने की पहल की थी और वहीं इस संगठन के सचिवालय का प्रबंधन करता है भारत ऑस्ट्रेलिया समूह में शामिल नहीं है।
परमाणु अप्रसार संधि
(एनपीटी)
परमाणु अप्रसार संधि परमाणु हथियारों का विस्तार रोकने और परमाणु तकनीक के शांतिपूर्ण ढंग से इस्तेमाल को बढ़ावा देने के अंतरराष्ट्रीय प्रयासों का एक हिस्सा है।
एनपीटी 1970 से प्रभाव में आई थी और अब तक कुल 191 देश संधि में शामिल हो गए हैं ।
इस संधि पर हस्ताक्षर करने वाले देश भविष्य में परमाणु हथियार विकसित नहीं कर सकते हैं। हालांकि वह शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए परमाणु ऊर्जा का इस्तेमाल कर सकते हैं लेकिन इसकी निगरानी अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के पर्यवेक्षक करते हैं।
परमाणु हथियार राज्यों द्वारा निशस्त्रीकरण के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए बहुपक्षीय संधि में केवल यही संधि बाध्यकारी प्रतिबद्धता को सुनिश्चित करती है।
Saurabhsinghkalhansh445@gmail.com
टिप्पणियाँ